Saturday 19 April 2014

पत्र - लेखन (Letter - Writing)

 हम अपने विचार भाषा के माध्यम से प्रकट करते है । अपने विचारों को दूसरों तक पहुँचाने के सबसे सरल एवं सुलभ साधन पत्र है । पत्रो के माध्यम से जितनी सरलता से हम अपने विचारों को दूसरों तक पहुँचा सकते है, उतना अन्य माध्यमों से नहीं । अच्छे पत्र में सरलता, संक्षिप्तता, स्पष्टता, विनम्रता, विचारों की क्रमबद्धता आदि गुण होने चाहिए । पत्रो को हम दो रूपों में बाँट सकते है :


  • वैयक्तिक पत्र 
  • कार्यालयी पत्र 

विद्यार्थियों से प्रायः वैयक्तिक पत्रों की अपेक्षा की जाती है । इसलिए यहाँ इन्हीं पत्रों की विधियों पर प्रकाश डाला जा रहा है । 



वैयक्तिक पत्रों के प्रकार :

-  पारिवारिक पत्र 

-  आधिकारिक पत्र 

-  संपादक पत्र 

-  आवेदन पत्र 

-  निमंत्रण पत्र 




Thursday 17 April 2014

भाषा (language)



          
        मोर  नाच रहा हैं  ।                                                         एक औरत पत्र लिख रही हैं  । 

ऊपर दिये गए चित्रों को देखिये और बताइये :
  • पहले चित्र में मोर  क्या कर रहा हैं  ?
उत्तर : मयुर नाच रहा हैं  । 
  • दूसरे चित्र में औरत क्या कर रही हैं  । 
उत्तर : औरत पत्र लिख रही हैं  । 

ऊपर के तीनों चित्रों के आधार पर रचित वाक्यों के भावों को स्पष्ट करने के लिए आपको बोलने ,लिखने और पढ़ने का सहारा लेना पड़ा हैं  । अतः हम कह सकते हैं  कि :

परिभाषा :
  'भाषा' सार्थक ध्वनियों का वह समूह है, जिसके द्वारा हम अपने विचार बोलकर या लिखकर दूसरों के सामने रख सकते है और उनके विचारों को जान सकते हैं  । 

भाषा के प्रकार 
भाषा के निम्नलिखित दो प्रकार हैं  :
  • मौखिक भाषा
भाषा का वह रूप जिसमें भावों और विचारों का आदान -प्रदान केवल बोलकर किया जाता हैं  ,मौखिक भाषा कहलाती हैं । भाषा के इस रूप के दर्शन दो व्यक्तियों की परस्पर बातचीत में होते हैं  । मौखिक भाषा का इतिहास मनुष्य के इतिहास के साथ ही जुड़ा हैं  । अतः भाषा का मौखिक रूप प्राचीनतम हैं  । यही भाषा का मूल रूप भी हैं  । अनपढ़ व्यक्ति भी भाषा के इस रूप का भली - भाँति प्रयोग करते हैं  । 
  • लिखित भाषा :
लेखनी द्वारा अपने विचार - भाव प्रकट करने तथा दूसरे के लिखित विचार - भाव जानने का सरल साधन लिखित भाषा हैं  । इसमें सार्थक शब्दों की एक - एक मूल ध्वनि की पहचान के लिए एक विशेष चिन्ह निश्चित कर लिया जाता हैं  जो वर्ण अथवा अक्षर कहलाता हैं । भाषा का यह लिखित रूप स्थाई और महत्वपूर्ण होता हैं  ।
भाषा और बोली :
भाषा का क्षेत्रीय रूप बोली कहलाती हैं  । एक भाषा के क्षेत्र में अनेक बोलियाँ हो सकती हैं । बोली में प्रायः साहित्य रचना नहीं होती, परन्तु कभी- कभी बोलियों में साहित्य रचना होने लगती हैं और तब वह बोली उपभाषा कहलाने लगती है ।
जैसे : ब्रज और अवधी दोनों ही बोलियाँ थीं किंतु सूरदास ने "सूरसागर" की रचना ब्रज में की और तुलसीदास ने "रामचरितमानस" की रचना अवधी में की । अतः ये दोनों बोलियाँ उपभाषाएँ बन गई ।

भाषा और बोली में अंतर 


          भाषा 
            बोली 


 भाषा का क्षेत्र विस्तृत होता है ।  



भाषा में साहित्य -रचना होती है । 




भाषा का प्रयोग सरकारी काम-काज में किया जाता है ।


  बोली भाषा का क्षेत्रीय रूप होती है और यह रूप भाषा की अपेक्षा सीमित होता है । 

बोली केवल बोली जाती है । यदि किसी बोली में साहित्य - रचना होती है ,तो वह बोली 'उपभाषा' बन जाती है, जैसे - ब्रज और अवधि


बोली का प्रयोग सरकारी काम-काज में नहीं होता, बल्कि किसी  क्षेत्र -विशेष के जान सामान्य के परस्पर व्यवहार या विचारों के आदान -प्रदान में होता है । 





मातृ भाषा (mother tongue):

Born child in his family as well as his mate - father and other family members who listens to language, follows the same. This language is the mother tongue of the family or community. First of all languages ​​learned by individuals other than those that are nearest to his intellect and heart. First our opinion - is the best means of exchange.

जन्म लेने के साथ ही बच्चा अपने परिवार में अपने मात -पिता तथा  परिवार के अन्य सदस्यों द्वारा जो भाषा सुनता है, उसी का अनुकरण करता है । परिवार अथवा समुदाय की यह भाषा ही मातृभाषा होती है । किसी व्यक्ति द्वारा सीखी गई सभी भाषाओं की तुलना में मातृभाषा उसकी बुद्धि और हृदय के सबसे निकट होती है । मातृभाषा हमारे विचार - विनिमय का सर्वोत्तम साधन है ।

राष्ट्रभाषा  (National language):

When a language is a political, social, literary or religious movements in the daily practice of the whole country or the whole country seems to be coming your secret - grasps appropriate for the task, then it becomes national. The national language of modern Indian languages ​​Hindi language so that it is suited to inter-provincial works almost the entire nation has accepted to be used, but has not yet agreed on the part of some states, but believed that the entire Hindi nation to be national.

जब कोई भाषा किसी राजनैतिक,सामाजिक,साहित्यिक अथवा धार्मिक आंदोलनों के कारण सम्पूर्ण राष्ट्र के दैनिक व्यवहार में आने लगती है या सारा राष्ट्र उसे अपने राज - कार्य के लिए उपयुक्त समझ लेता है, तब वह राष्ट्रभाषा बन जाती है । आधुनिक भारतीय भाषाओं में हिंदी भाषा इसलिए राष्ट्र भाषा के अनुकूल है कि उसे अंतर - प्रांतीय कार्यों में प्रयुक्त होने के लिए लगभग सम्पूर्ण राष्ट्र ने स्वीकार किया है, परन्तु अभी कुछ राज्यों की ओर से सहमति नहीं मिली है, परन्तु विश्वाश है कि हिंदी ही सम्पूर्ण राष्ट्र की राष्ट्रभाषा होगी ।

विश्व की प्रमुख्य भाषाएँ ( important Languages ​​of the World) :

World English, Chinese, Russian, Japanese, Spanish, French, Turkish, Portuguese, Urdu, Arabic, Persian, Hindi, etc. The number of languages ​​spoken. Nearly two - thirds of the people using these languages, ideas interchange is for. The third is our Hindi language.

विश्व में अंग्रेजी, चीनी, रुसी, जापानी, स्पेनिश, फ्रांसीसी, तुर्की, पुर्तगाली, उर्दू, अरबी, फ़ारसी, हिंदी, आदि अनेक भाषाएँ बोली जाती है । विश्व के लगभग दो - तिहाई लोग इन भाषाओं का प्रयोग विचारों के आदान-प्रदान के लिए करते है । हमारी हिंदी भाषा का इनमें तीसरा स्थान है ।

मानक भाषा (standard  Languages ):

भाषा के विकास - क्रम में कभी - कभी वर्णों के लिखने के ढंग में परिवर्तन होने लगता है और एक ही वर्ण दो प्रकार से लिखा जाने लगता है । अतः वर्णों की एकरूपता बनाये रखने के लिए भाषा - वेदों ने भाषा के जिस रूप को मान्यता दी है वह 'मानक भाषा' कहलाती है ।