कुत्ता गेंद के पीछे भाग रहा है ।
आज गर्म हवा चल रही है ।
बच्चे बाग में खेल रहे है ।
शिक्षक विद्द्यार्थियों को पढ़ते है ।
परिभाषा - सार्थक शब्दों का ऐसा व्यवस्थित समूह जो हमारे विचारों एवं भाव को पूर्ण रूप से व्यक्त करता है, 'वाक्य' कहलाता है ।
वाक्य के अंग :
वाक्य के निम्न दो अंग है :
- उद्देश्य (subject )
- विधेय (predicate )
उद्देश्य - वाक्य में जिसके विषय में कुछ बताया जाता है, वह उद्देश्य कहलाता है ।
जैसे -
मछलियाँ तैर रही है ।
वाक्य में 'मछलियाँ' उद्देश्य है ।
विधेय - उद्देश्य के विषय में जो कुछ बताया जाता है, वह विधेय कहलाता है ।
जैसे -
मछलियाँ तैर रही है ।
वाक्य में तैर रही है विधेय है ।
नीचे दिए गए वाक्यों को ध्यान से पढ़िए :
रवि जाता है ।
('रवि', उद्देश्य और 'जाता है', विधेय )
मेरा भाई मित्र के घर जाता है ।
('मेरा भाई', उद्देश्य और 'मित्र के घर जाता है', विधेय )
उद्देश्य और विधेय के आधार पर वाक्य के निम्नलिखित अंग होते है :
- कर्ता (Subject )
- कर्म (Object )
- क्रिया (Verb )
- पूरक (Complement )
- विस्तारक (Enlargement )
कर्ता - वाक्य में काम करने वाले को कर्ता कहते है ।
जैसे -
नेहा अपने घर जाती है ।
('नेहा', कर्ता है )
कर्म - जिस पर क्रिया के व्यापार का फल पड़े, उसे कर्म कहते है ।
जैसे -
शैली ने मीता को पढ़ाया ।
('मीता', कर्म है )
क्रिया - क्रिया के बिना किसी भी वाक्य की कल्पना नहीं हो सकती । क्रिया के अभाव में वाक्य अपूर्ण हो जाता है।
पूरक - कुछ क्रियाएँ अपने अर्थ को पूरा करने के लिए पूरक रखती है तथा वाक्य में कथन को पूरा करने का काम पूरक करता है ।
जैसे -
गाँधी जी राष्ट्रपिता थे ।
('राष्ट्रपिता', पूरक है )
विस्तारक - विशेषण तथा क्रिया - विशेषणों के अतिरिक्त वाक्य में कुछ अन्य शब्द भी विस्तारक का काम करते है ।
जैसे -
पिछले दस दिनों से नकुल स्कूल नहीं आ रहा है ।
('पिछले दस दिनों से', विस्तारक है )
No comments:
Post a Comment